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तारक मेहता धारावाहिक का पोस्टर

          '' तारक मेहता का उल्टा चश्मा ''यह एक ऐसा सीरियल है ,जो करीब तेरह वर्षों से लगातार सब टी. वी. पर अनवरत चलता आ रहा है। रात होते ही सबको इस कार्यक्रम की प्रतीक्षा होती है।
         आज हम अनेक समस्याओं का सामना करते चले जा रहे है। इस कारण हमारा मस्तिष्क विचारों में मँडराता रहता है। जब किसी समाचार पत्र को उठाते है तो कोरोना से जिंदगी को अलविदा करनेवालों के दुःखद समाचार पढ़ने मिलते है, वहीं किसी चैनल पर अपने आप को खोना चाहते है तो वहाँ पर महामारी के बीच चल रही राजनीति के समाचार देखकर मन और भी उदास हो जाता है। बस ! ' तारक मेहता का उल्टा चस्मा ' देखने लगते है तो कुछ समय के लिए ही सहीं सारी टेंशन के बावजूद चेहरे पर हंसी की छटाएँ बिखर ही जाती है। 
           यह सीरियल केवल मनोरंजन ही नहीं करता बल्कि हल्की - फुलकी मज़ाक में ही हमें कुछ अच्छा सा सन्देश दिया जाता है। जैसे जेठालाल एक सफल बेपारी रहने के बावजूद अच्छे कार्य करने से पहले अपने पिता चम्पक लाल गड़ा के पैर छूता है, यह प्रथा आज बहुत ही कम देखने मिलती है। तो ! इस सन्देश को हर भारतीय युवक ने समझना चाहिए। आज हम कोई मुकाम हासिल करते है, उसी के साथ अपने माता - पिता को वृद्धाश्रम का रास्ता दिखाते है।  
           '' तारक मेहता का उल्टा चश्मा '' की कहानी गुजराती के ' दुनिया ने  उन्धा चश्मा ' पर आधारित है, जिसके मूल लेखक श्री. तारक मेहता है। इस धारावाहिक का निर्माण श्री. असित कुमार मोदी और नीला असित मोदी ने किया है। सब टी. वी. पर इसकी शुरुवात 28 जुलाई 2008 में की गयी थी। इस धारावाहिक के आजतक कुल तीन हजार एक सौ चौराहत्तर [ 3174 ] एपिसोड हुए है। इसकी ख़ासियत यह है कि इसकी लोकप्रियता में कभी कमी नहीं आयी। जबकि इसके कई जाने माने कलाकार यह धारावाहिक छोड़कर जा चुके है।  फिर भी वह अपनी कहानी में रंगत लाते हुए लोकप्रियता को थामे आगे बढ़ते चला जा रहा है। 
                                                                    
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''तारक मेहता '' के वास्तविक लेखक तारक मेहता

  सीरियल की कहानी : -

                       इसकी कहानी मुंबई स्थित गोकुलधाम सोसाइटी की है। इस गोकुलधाम में अलग - अलग जगह, अलग -अलग संस्कृति विभिन्न धर्मों और परम्पराओं के लोग एक दूसरे के साथ एक ही परिवार जैसे मिल - जुलकर रहते है। इस धारावाहिक का मुख्य किरदार जेठालाल चम्पक लाल गड़ा एक सफल व्यापारी होता है। जलेबी फाफड़ा उसे बहुत पसंद होते है। वह सोसाइटी की किसी भी मीटिंग में लेट हो जाता।
                  इस कारण सोसाइटी के एकमेव सेक्रेटरी आत्माराम तुकाराम भिड़े उस पर तंज करना नहीं भूलते। वहीं बबिता का पति कृष्णन अय्यर जब भी मौका मिलता है वह जेठालाल को नीचा दिखाने का अवसर नहीं छोड़ता। सोसाइटी के लोग इसे परेशान करते रहते है। पोपटलाल जो एक पत्रकार है वह अपनी शादी के लिए बहुत उत्सुक रहता है। वह बार - बार छोटीसी बात पर दुनिया हिलाने की बात करते रहता है। 
          जेठालाल की परेशानियां हल करनेवाले उनके परम मित्र फायरब्रिगेड तारक मेहता अपनी सूझबूझ से कई परेशानियों का हल निकालते रहते है।
        एक और परिवार रोशन सींग सोढ़ी का होता है। रोशन सिंह हमेशा पार्टी - शार्टी के अवसर की तलाश में रहता है। परन्तु सोसाइटी का महिला मंडल उन्हें इसका अवसर नहीं मिलने देता। जेठालाल की सबसे बड़ी समस्या उसका साला सुंदर  होता है, जो गुजरात में रहता है। जब भी वह गुजरात से बम्बई टैक्सी से आता है उसका बिल जेठालाल को चुकाना पड़ता है। 
          जेठालाल के बापूजी चंपक लाल जयंतीलाल खिमजी गड़ा अपने पुत्र पर हमेशा गुस्सा करते रहते है और ज्ञान की बातों का उपदेश देते रहते है कारण वे आज भी जेठालाल को अभी बच्चा ही समझते है। वहीं जेठालाल का पुत्र टप्पू बाहर से शिकायत लेकर आते रहता है, इस कारण भी जेठालाल परेशान हो जाता है। जबकि जेठालाल अपने पिता के पांव छुए बिना कोई काम नहीं करता और उनका बहुत सन्मान करता है। 
          जेठालाल की गर्भा क्वीन पत्नी दया अपनी हरकतों से या चुलबुले पन के कारण मजाक का पात्र बन जाती है। जेठालाल कितना भी परेशान हो बबिता की आवाज़ सुनते ही उसमे स्फूर्ति आ जाती है। 
          जेठालाल की एक दूकान होती है, जिसका नाम गड़ा इलेक्ट्रॉनिक्स होता है। उसके इस दुकान में नट्टू काका और बागा दो कर्मचारी रहते है जो अपनी स्कीमों द्वारा ग्राहकों को लुभाने की तरक़ीबें जेठालाल को सुझाते रहते है। बाघा की सगाई बागेश्वरी से  हो चुकी होती है, उसे जब भी मौका मिलता है वह बाघा से मिलने दूकान पहुँचती है।  यह जेठालाल को पसंद नहीं रहता। धारावाहिक के सभी कलाकारों की बातों हरकतों की सहेज कॉमेडी से धारावाहिक में हंसी की बौछार होती है। इस हंसी की बौछार से ही हम अपनी समस्याएँ भूल पाने में कामयाब हो जाते है। 

धारावाहिक के कलाकारों को जाने : -            
                                                                        
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 दिलीप जोशीजी '' जेठालाल गड़ा '' की भूमिका में

               दिलीप जोशीजी कई गुजराती नाटकों में अभिनय कर चुके है। मुख्यता '' बापू थामे कमाल करी '' है। उन्होंने सं. 1989 में फिल्म '' मैंने प्यार किया '' में रामू की भूमिका निभाते हुए अपने कर्रिएर की शुरुवात की थी। वैसे उन्हें धारावाहिक '' शुभ मंगल         
सावधान '' से अधिक जाना जाता है।

           '' तारक मेहता  उल्टा चश्मा '' के मुख्य किरदार श्री. दिलीप जोशीजी का जन्म 26 मई 1968 में पोरबंदर स्थित गोसा गांव के एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उन्होंने मुंबई स्थित केएनएम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स से बैचलर ऑफ कॉमर्स की डिग्री हासिल की है। अपनी डिग्री के दौरान ही उन्होंने इंडियन नेशनल थिएटर का सवश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार प्राप्त किया है। 
 दिलीप जोशीजी द्वारा अभिनीत धारावाहिकों में : -  
         सं. 1997 में '' क्या बात है '', सं. 1998 में '' दाल में काला '', '' दोउ और पांच '', और '' कोरा कागज़ '', सं. 1998 में '' हम सब एक है '', सं. 1999 में '' ये दुनिया है रंगन '', सं. 2002 में '' मेरी बीबी कमाल की '', '' आज के श्रीमान श्रीमती '' आदि धारवाहिक उल्लेखनीय है। 
फिल्मों के अंतर्गत : - 
         सं. 1994 में '' हम आपके है कौन '', सं. 1996 में '' यश '', सं. 2000 में '' फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी '' और '' खिलाडी '', सं. 2008 में '' फिराक '' और '' दिल है तुम्हारा '' शामिल है। 
पुरस्कारों से सन्मानित : - 
         सं. 2009 में '' 9 वां इंडियन टेली अवार्ड्स '' और '' तीसरा बोरो प्लस गोल्ड अवार्ड '', सं. 2010 में '' 10 वां इंडियन टेली अवार्ड्स और '' लायंस गोल्ड अवार्ड के आलावा सं. 2012 में '' 12 वें भारतीय टेलीविज़न अकादमी पुरस्कार शामिल है। 
                                                                      
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       दिशा वाकानी '' दया बेन गड़ा '' की भूमिका में


 दिशा वकानी : -  '' तारक मेहता का---- '' की गर्भा क्वीन के नाम से   जाने जानेवाली दिशा वकानी एक भारतीय सिनेमा और छोटे परदे की   अभिनेत्री है।  
           दिशाजी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 17 अगस्त 1978 को   हुआ था। उन्होंने अपना कर्रिएर गुजराती रंगमंच से आरम्भ किया है।   उन्होंने अहमदाबाद के गुजरात आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज से अभिनय   में स्नातक की पढ़ाई पूर्ण की है। 
        वे हिंदी फिल्मों में सहायक अभिनेत्री के रूप में नजर आयी है, जिनमे  सं. 2002 में बनी फिल्म '' देवदास '' और सं. 2008 में '' जोधा अकबर '' है।  इसके पश्चात ही वे सब टी. वी. के धारावाहिक '' तारक मेहता का उल्टा चश्मा ''दया बेन की मुख्य भूमिका निभाते हुए लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गई है। 
                                                                          
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अमित भट्ट '' चम्पक चाचा '' की भूमिका में

 अमित भट्ट : -   अमित भट्टजी टेलीविज़न और रंगमंच के अभिनेता है। उन्होंने '' तारक मेहता ---- '' धारावाहिक में जेठालाल के पिता चम्पकलाल जयंतीलाल गड़ा की बेहतरीन भूमिका निभाई है। 
                उनका जन्म गुजरात के सौराष्ट्र में 19 अगस्त 1972 को हुआ है। वे वाणिज्य [ बी.कॉम ] के स्नातक है। 
             अमित भट्ट उर्फ़ चम्पक चाचा कई धारावाहिकों में श्रोताओं को नजर आये जिनमे - '' खिचड़ी '', '' यस बॉस '', '' चुपके -चुपके '', ''गप शप '' और '' कॉफ़ी शॉप '' है। 
                                                                     
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मंदार चांदवड़कर '' भिड़े मास्टर '' की भूमिका में

  मंदार चांदवड़कर :-  मंदारजी एक टेलीविज़न अभिनेता है। उन्होंने     ''तारक मेहता --- '' में गोकुलधाम के एकमेव सेक्रेटरी की भूमिका       निभाई है। 
                 उनका जन्म महाराष्ट्र के मुंबई में 27 जुलाई 1976 को है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के परेल स्थित आर. एम. भट्ट हाई स्कूल से की है और माटुंगा स्थित गुरुनानक खालसा कॉलेज ऑफ आर्ट्स , साइंस एंड कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई पूर्ण की है। 
                  श्री. मंदारजी ने सं. 1997 से लेकर सं. 2000 तक दुबई में मेकानिकल इंजीनियर का कार्य किया है। परन्तु अभिनय के लगाव के कारण  यह कार्य छोड़ मुंबई वापस आ गए। 
                 उन्होंने सं. 1998 में अपना स्वयं का ' प्रतिबिंब ' थिएटर ग्रुप की स्थापना की और हिंदी कॉमेडी शो का मंचन किया है। श्री. मंदारजी ने हिंदी तथा मराठी एकांकियों का निर्देशन किया है और कुछ में अभिनय भी क्या है। 
                 श्री. मंदारजी की मराठी फिल्मों में '' दोघात तीसरा आता सगळे विसरा ''और '' सासु नम्बरी , जावई दस नम्बरी '' उल्लेखनीय है। 
                                                                          
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शैलेश लोढ़ा '' मेहता साहब '' की भूमिका में

शैलेश लोढ़ा : - सब टी. वी. के धारावाहिक '' तारक मेहता का उल्टा चश्मा '' के मुख्य किरदारों में शामिल श्री. शैलेश लोढ़ाजी एक लेखक, अभिनेता और बहुत उम्दा हास्य कवी के साथ -साथ कवी सम्मेलनों के मंच संचालक है। 
             श्री. शैलेश लोढ़ाजी का जन्म एक मारवाड़ी परिवार में राजस्थान के जोधपुर जिले में 8 नवम्बर 1969 में हुआ। उनको बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। जब वे मात्र 9 वर्ष के थे तब वे '' बाल कवी '' के उपनाम से जाने जाते थे। 
               उन्होंने मार्केटिंग में बी. एस. सी. और पी. जी. तक शिक्षा प्राप्त की है। श्री. लोढ़ाजी की प्रमुख उपलब्धियों में हास्य कवियों के सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम '' वाह वाह क्या बात है '' का संचालन है। 
 उनके फेरिस्त में सं. 2008 में '' कॉमेडी सर्कस '', सं. 2017 में '' कॉमेडी दंगल '' शामिल है। श्री.शैलेश जी ने कुछ किताबें भी लिखी है , जिसमे '' दिल जले फेसबुक स्टेटस '' उल्लेखनीय है। उन्हें साहित्य के योगदान करने '' राष्ट्रिय सृजन अवार्ड '', '' भारत गौरव '' तथा '' राजस्थान गौरव '' से सन्मानित हुए है।